कुडल अजगर मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य स्थानों में से एक है

भगवान विष्णु को समर्पित अद्वितीय कुडल अजगर मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में स्थित है। आठ हिस्सों में बने इस मंदिर का शिखर ऐसा है कि इसकी छाया धरती पर नहीं पड़ती। इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बैठी मुद्रा में है। यह मूर्ति देखने में बहुत ही दिव्य और भव्य लगती है।

मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मूल रूप से पांड्य वंश के राजाओं ने 12वीं से 14वीं शताब्दी के बीच करवाया था। बाद में विजयनगर और मदुरै के राजाओं ने 16वीं शताब्दी में मंदिर के मुख्य हॉल और अन्य मंदिरों का निर्माण कराया। यह दक्षिण भारत के प्रमुख प्राचीन मंदिरों में से एक है।

यहां मिले शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर 600 वर्ष से भी अधिक पुराना है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की बैठने, खड़े होने और लेटने की मुद्रा में अलग-अलग मूर्तियां हैं, जो ग्रेनाइट से बनी हैं। बैठी हुई मुद्रा में स्थापित प्रतिमा 6 फीट ऊंची है। मंदिर के अंदर लकड़ी की नक्काशी भी की गई है।

मंदिर के चारों ओर ग्रेनाइट की दीवार है, जो इसके अंदर सभी मंदिरों को घेरे हुए है। मंदिर में ऋषियों, दशावतार, लक्ष्मी नरसिम्हा, लक्ष्मी नारायण और नारायणमूर्ति के चित्र हैं, लेकिन इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि मंदिर के शिखर की छाया जमीन पर नहीं पड़ती। यह मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य स्थानों में से एक है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान विष्णु कूडल अझगर के रूप में राक्षस सोमक को मारने के लिए प्रकट हुए थे। इस स्थान का वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण के सातवें अध्याय में भी मिलता है।

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