नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने रविवार को कहा कि भारत के लिए बेहतर है कि वह पड़ोसी देश से माल आयात करने की बजाय स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए चीनी कंपनियों को यहां निवेश करने और माल का उत्पादन करने के लिए आमंत्रित करे। विरमानी 22 जुलाई को पूर्व-बजट आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मांग करने के लिए की गई वकालत का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने साक्षात्कार में कहा, “इसलिए, जिस तरह से एक अर्थशास्त्री इसे देखता है, उसमें एक समझौता है…तो, समझौता यह है कि अगर कुछ आयात होने जा रहे हैं, जिसे हम वैसे भी चीन से 10 साल, 15 साल तक आयात करने जा रहे हैं, तो बेहतर है कि चीनी कंपनियों को भारत में निवेश करने और यहां उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए आमंत्रित किया जाए।”
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, चूंकि अमेरिका और यूरोप अपने तत्काल सोर्सिंग को चीन से दूर कर रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों का भारत में निवेश करना और इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है।
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