ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे गए पत्र पर केंद्र की कड़ी प्रतिक्रिया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र पर केंद्र ने प्रतिक्रिया दी है। पत्र में उन्होंने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार के मामले में देशभर में हो रही बलात्कार की घटनाओं पर प्रकाश डाला है। केंद्र ने कहा कि पश्चिम बंगाल को 123 फास्ट-ट्रैक कोर्ट आवंटित किए गए हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश अभी तक काम नहीं कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री बनर्जी को लिखे पत्र में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) और चाइल्ड हेल्पलाइन जैसी प्रमुख आपातकालीन हेल्पलाइनों को लागू करने में विफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की।

उन्होंने यौन अपराधों से संबंधित मामलों के लंबित रहने के बावजूद केंद्र प्रायोजित योजना के तहत आवंटित फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) को चालू करने में असमर्थता के लिए राज्य को कड़ी फटकार लगाई।

अक्टूबर 2019 में शुरू की गई FTSC योजना का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम से संबंधित लंबित मामलों की सुनवाई और निपटान में तेजी लाना था।

उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल राज्य ने 08.06.2023 के पत्र के माध्यम से योजना में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की है, जिसमें 7 FTSC शुरू करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। संशोधित लक्ष्य के तहत, पश्चिम बंगाल को 17 FTSC आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 30.06.2024 तक केवल 6 विशेष POCSO न्यायालय चालू हो गए हैं। पश्चिम बंगाल में बलात्कार और POCSO के 48,600 मामले लंबित होने के बावजूद, राज्य सरकार ने शेष 11 FTSCS शुरू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इस संबंध में कार्रवाई राज्य सरकार के पास लंबित है।” मंत्री ने पश्चिम बंगाल सरकार से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव और हिंसा को खत्म करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया।

पिछले हफ्ते सीएम बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि देश भर में रोजाना करीब 90 बलात्कार के मामले सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को व्यापक तरीके से संबोधित करने की जरूरत है, जिसमें ऐसे जघन्य अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करने वाले सख्त केंद्रीय कानून बनाना भी शामिल है। 9 अगस्त को पीड़िता का शव सरकारी अस्पताल के चेस्ट डिपार्टमेंट के सेमिनार हॉल में मिला था।

इस मामले में संजय रॉय नाम के एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया गया था।

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