हर साल एक लाख भारतीय ले रहे हैं विदेशी नागरिकता, लोकसभा में पेश किया चौंकाने वाला आंकड़ा

2017 और 2021 के बीच, 42 प्रतिशत भारतीय आबादी के साथ अमेरिका पहली पसंद बना हुआ है। वहीं दूसरे नंबर पर कनाडा है जहां पिछले 5 साल में 91,000 भारतीय लोगों ने नागरिकता हासिल की है.

नई दिल्ली: अच्छी शिक्षा व्यवस्था और बेहतर नौकरी की तलाश में भारत से विदेशों में प्रवास करने वाले ज्यादातर लोगों ने अब वहां की नागरिकता भी लेना शुरू कर दी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हर साल करीब 1 लाख लोग दूसरे देशों की विदेशी नागरिकता लेकर भारत आ रहे हैं. भारतीय लोगों की विदेशी नागरिकता हासिल करने से जुड़े कुछ महीने पहले लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश किए गए आंकड़े वाकई चौंकाने वाले थे.

विदेशी नागरिकता लेने वाले लोगों की निरंतर वृद्धि

साल 2015 में जहां 1,41,000 लोगों ने विदेशी नागरिकता ली, वहीं 2016 में यह संख्या 1,44,000 के पार चली गई। यह संख्या साल 2019 तक बढ़ती रही। हालांकि 2020 में कोरोना के कारण यह आंकड़ा थोड़ा कम होकर 85 हजार के आसपास हो गया, लेकिन 2021 से यह आंकड़ा फिर से 100000 के करीब पहुंच गया। यानी रोजाना 350 से ज्यादा भारतीयों को विदेशी नागरिकता मिल रही है।

अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पसंदीदा देश

2017 और 2021 के बीच, 42 प्रतिशत भारतीय आबादी के साथ अमेरिका पहली पसंद बना हुआ है। वहीं दूसरे नंबर पर कनाडा है जहां पिछले 5 साल में 91,000 भारतीय लोगों ने नागरिकता हासिल की है. ऑस्ट्रेलिया 86,000 लोगों के साथ तीसरे स्थान पर है, इंग्लैंड 66,000 लोगों के साथ और इटली 23,000 लोगों के साथ क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर है।

करियर की गारंटी और बेहतर पढ़ाई है प्रमुख कारण

जानकारों के मुताबिक बेहतर शिक्षा, अच्छे करियर की गारंटी और आर्थिक समृद्धि की तलाश में भारतीय विदेश जा रहे हैं और वहां की नागरिकता लेकर वहीं बस रहे हैं। कई शोध पत्रों में यह बात सामने आई है कि भारत में बड़ी संख्या में नौकरियों का जाना, अच्छी शिक्षा प्रणाली का अभाव और छोटे और बड़े व्यवसायियों के लिए कारोबारी माहौल की कमी प्रवास के सबसे बड़े और मुख्य कारण हैं।

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