नई दिल्ली: देश में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार लंबे समय से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. वहीं, सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी काफी ध्यान दे रही है। इलेक्ट्रिक बस, कार, बाइक और स्कूटी के बाद अब सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की पहल की है। जिसका निर्माण कार्य शुरू हो गया है। तो आइए हम आपको बताते हैं कि इलेक्ट्रिक हाईवे क्या होता है और इसे कहां बनाया जा रहा है?
इलेक्ट्रिक हाईवे क्या है?
आमतौर पर हाईवे पर चलने वाले वाहन पेट्रोल, डीजल या सीएनजी से चलते हैं। लेकिन इलेक्ट्रिक हाईवे ऐसा हाईवे होगा जिस पर सभी इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे. इलेक्ट्रिक हाईवे सामान्य हाईवे की तरह ही होगा लेकिन इस हाईवे के ऊपर तार लगाए जाएंगे। बता दें कि इस हाईवे पर ट्रेनों की तरह चलने वाले वाहनों को इन तारों से बिजली मिलेगी और यह बिजली इन वाहनों के लिए ईंधन का काम करेगी. इस हाईवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग प्वाइंट भी स्थापित किए जाएंगे। जिससे आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
कहां बन रहा है ये हाईवे?
आपको बता दें कि सरकार दिल्ली और जयपुर के बीच इस इलेक्ट्रिक हाईवे को बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राजस्थान के दौसा जिले में इसकी घोषणा की थी. वहीं, यह हाईवे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक होगा और इसमें सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे। पूरी तरह तैयार होने के बाद यह देश का पहला ई-हाईवे होगा।
Electric Highway: क्यों जरूरी है ई-हाईवे?
भारत सरकार ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी ने नवंबर 2021 में घोषणा की थी कि भारत साल 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा। यह इलेक्ट्रिक हाईवे इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह हाईवे पूरी तरह से इको फ्रेंडली होगा और प्रदूषण के स्तर को कम करने में काफी मददगार साबित होगा। इसमें वाहनों को चलाने के लिए बिजली का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पेट्रोल और डीजल से सस्ता होगा। एक तरफ जहां सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी, वहीं दूसरी तरफ यह पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा.
ई-हाईवे के फायदे?
ई-हाईवे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा। इसके साथ ही ई-हाईवे से लॉजिस्टिक कॉस्ट में भी काफी कमी आएगी। मौजूदा समय में चीजों के दाम बढ़ने का एक बड़ा कारण ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट है। ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होगी तो चीजें सस्ती हो सकती हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री के इस ऐलान को देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
और ई-हाईवे कहाँ है?
बता दें कि भारत ई-हाईवे बनाने वाला पहला देश नहीं है। स्वीडन और जर्मनी में इलेक्ट्रिक हाईवे पहले से ही उपयोग में हैं। जबकि स्वीडन ई-हाईवे शुरू करने वाला दुनिया का पहला देश है। स्वीडन ने 2016 में ई-हाईवे का ट्रायल शुरू किया और 2018 में पहला ई-हाईवे शुरू किया। वहीं, स्वीडन के बाद जर्मनी ने 2019 में इलेक्ट्रिक हाईवे की शुरुआत की।
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