गंगा दशहरा पर बन रहे हैं शुभ संयोग, इस दिन ये काम करने का सौभाग्य!

Ganga Dussehra 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा भगीरथ जी की तपस्या से प्रसन्न हो करके स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर आईं थीं। मां गंगा की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। मां गंगा से प्रार्थना है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा हमारे जीवन में सुख-समृद्धि का संचार करें।

समृद्धं सौभाग्यं सकल वसुधायाः किमपि तत्-
महैश्वर्यं लीला जनित जगतः खण्डपरशोः ।
श्रुतीनां सर्वस्वं सुकृतमथ मूर्तं सुमनसां
सुधासौन्दर्यं ते सलिलमशिवं नः शमयतु॥
(स्रोत -गंगा लहरी 1)

(हे माँ!) महेश्वर शिव की लीला जनित इस सम्पूर्ण वसुधा की आप ही समृद्धि और सौभाग्य हो, वेदो का सर्वस्व सारतत्व भी आप ही हो। मूर्तिमान दिव्यता की सौंदर्य-सुधायुक्त आपका जल, हमारे सारे अमंगल का शमनकारी हो।

भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर 10 बार गंगा की स्तुति को पढ़ता है चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उस फल को पाता है।

मां गंगा सब अवयवों से सुंदर, तीन नेत्रों वाली चतुर्भुजी, जिनकी चारों भुजा, रत्नकुंभ, श्वेतकमल, वरद और अभय से सुशोभित हैं, आप श्वेत वस्त्र धारण किए हैं। आप मुक्ता मणियों से विभूषित है, सौम्य है, अयुत चंद्रमाओं की प्रभा के समान सुख देने वाली हैं, जिस पर चामर डुलाए जा रहे हैं, श्वेत छत्र से भली भांति शोभित है, आप अत्यंत प्रसन्न हैं, वर देने वाली हैं, निरंतर करुणार्द्रचित्त है, भूपृष्ठ को अमृत से प्लावित कर रही हैं, दिव्य गंध लगाए हुए हैं, त्रिलोकी से पूजित हैं, सब देवों से अधिष्ठित हैं, दिव्य रत्नों से विभूषित हैं, दिव्य ही माल्य और अनुलेपन हैं, ऐसी गंगा मां के पानी में ध्यान करके भक्तिपूर्व मंत्र से अर्चना कर रहा हूं।

सनातन वैदिक धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा भगीरथ के अखंड तप से प्रसन्न होकर जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह बहुत ही दिव्य और पवित्र दिन था। यह दिन जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी था।

मां गंगा के अवतरण दिवस को गंगा दहशरा मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से मनुष्य को कई यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए आस्थावान मनुष्य को पवित्र मन के साथ ही गंगा स्नान करना चाहिए। इस दौरान मां गंगा और भगवान शिव का स्मरण भी बहुत से लोग करते हैं।

इस बार गंगा दशहरा के दिन 4 बेहद खास संयोग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये शुभ योग ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के कारण बन रहे हैं। आइए जानते हैं गंगा दशहरा पर कौन से शुभ संयोग बनने वाले हैं और इस दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।
यह भी पढ़ें

ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार का गंगा दशहरा कई मायनों में खास है. मां गंगा के अवतरण के दिन यानी गागा दशहरा के दिन ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति बहुत ही शुभ रहने वाली है. इस दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं। दरअसल, इस दिन सूर्य देव और बुध ग्रह वृष राशि में मौजूद रहेंगे। जिससे बुधादित्य योग बनेगा।

इसके साथ ही इस दिन रवि योग का भी शुभ संयोग रहेगा। साथ ही इस दिन हस्त नक्षत्र का भी शुभ संयोग बन रहा है. इसके अलावा व्यतिपात योग भी बन रहा है। हस्त नक्षत्र में मां गंगा का अवतरण हुआ था। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन इस योग को बनाना बहुत ही शुभ माना जाता है.

गंगा दशहरा पर स्नान करने का शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा पर दशमी तिथि का विशेष महत्व है। दशमी तिथि 9 जून को सुबह 8.23 ​​बजे से 10 जून को सुबह 7.27 बजे तक रहेगी. इस दौरान गंगा स्नान करना पवित्र माना जाता है। यदि गंगा में स्नान करना संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान भी किया जा सकता है।

गंगा दशहरा पर इन चीजों का किया जाता है दान

गंगा दशहरा के दिन नदी में स्नान करने के अलावा दान देने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन दान न करने के पुण्य कर्म अधूरे रहते हैं। ऐसे में इस दिन खरबूजा, सत्तू, तिल, दीपक, अन्न, वस्त्र, अंतरा, पान, पंखा और जौ आदि का दान करना अच्छा माना जाता है.

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *