2030 E-Mobility लक्ष्य के लिए आवश्यक है नीतिगत प्रयासों में तेजी लाना

भारत में वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) को लेकर एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके तहत तय अवधि तक बेचे जाने वाले वाहनों में 70% वाणिज्यिक कारें, 30% निजी कारें, 40% बसें और 80% दो पहिया तथा तीन पहिया वाहन इलेक्ट्रिक होंगे। मोटे तौर पर संख्या के लिहाज से देखें तो वर्ष 2030 तक सड़कों पर 8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ेंगे।

क्लाइमेट ट्रेंड्स और जेएमके रिसर्च द्वारा जारी एक ताजा विश्लेषण के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहन संबंधी नीतियों (फेम 2, राज्य सरकार की नीतियां) की मौजूदा लहर और यहां तक कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान बैटरी के दामों में गिरावट और स्थानीय स्तर पर निर्माण संबंधी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी आने के बावजूद भारत में वर्ष 2030 तक सिर्फ 5 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन ही इस्तेमाल हो सकेंगे जोकि राष्ट्रीय लक्ष्य से 40% कम है।

रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत को 8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहनों के सुचारू संचालन के लिए 2022 से 2030 के बीच कम से कम 39 लाख (प्रति चार्जिंग स्टेशन 8 इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुपात के आधार पर) सार्वजनिक अथवा अर्द्ध-सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की जरूरत होगी। यह संख्या इस अवधि के लिए बनाई जा रही योजना के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

इस अध्ययन का शीर्षक ‘परिवहन विद्युतीकरण के लिए भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य की पूर्ति’ (Meeting India’s National Target for Transport Electrification) है और इसे जेएमके रिसर्च द्वारा नई दिल्ली में आयोजित ‘ईवी मार्केट कॉन्क्लेव’ (EV Market Conclave) में जारी किया गया। इस अध्ययन में सभी अनुमोदित राज्य ईवी नीतियों का विश्लेषण किया गया है और इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य की पूर्ति के लिए राज्य के स्तर पर और बेहतर तथा अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने की बात मजबूती से रखी गई है।

जहां कुछ राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित लक्ष्य को संख्यात्मक स्वरूप में रखा है, वहीं कुछ राज्यों ने इसे कुल वाहनों के प्रतिशत के तौर पर निर्धारित किया है जबकि कुछ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने इस बारे में कोई भी लक्ष्य तय नहीं किया है। ऐसी गिनी-चुनी नीतियां ही हैं जिनमें चार्जिंग ढांचे से संबंधित लक्ष्य या सरकारी वाहनों के बेड़े को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के बारे में चीजों को परिभाषित किया गया है। इसके अलावा ज्यादातर नीतियों में वर्ष 2030 तक की समयसीमा का निर्धारण नहीं किया गया है। उनमें सिर्फ वर्ष 2022 से 2026 तक के लिए ही सहयोग प्रदान करने की बात की गई है।

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा, इलेक्ट्रिक वाहन मौजूदा समय में वित्तीय रूप से व्यावहारिक हो गए हैं। भारत के नेटजीरो उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की प्राप्ति में इलेक्ट्रिक वाहनों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी। स्वच्छ ऊर्जा- जैसे कि अक्षय ऊर्जा संबंधी लक्ष्यों की प्रगति राज्य की नीतियों की वजह से होती है।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के मामले में भी देश को राज्यों के बीच और अधिक तालमेल की जरूरत है। भारत ने ई-मोबिलिटी (e-mobility) के क्षेत्र में सही दिशा में कदम आगे बढ़ाना शुरू किया है। कुछ सक्षमकारी नीतियों के कारण वाहनों के कुछ वर्गों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है।

हालांकि हमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच और भी ज्यादा समन्वित प्रयासों की जरूरत है। खासतौर पर ऐसे लक्ष्यों और प्रोत्साहनों को परिभाषित करने के मामले में, जो राष्ट्रीय लक्ष्यों और नीतियों के अनुरूप हैं। इसके अलावा चार्जिंग ढांचे तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के वित्तपोषण के लिए वित्तीय समाधान उपलब्ध कराने पर और अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है।”

जेएमके रिसर्च एंड एनालिसिस की संस्थापक और सीईओ ज्योति गुलिया ने कहा, “अगर मौजूदा ढर्रा बना रहा तो भारत वर्ष 2030 तक के लिए निर्धारित अपने लक्ष्य से 40% पीछे रह जाएगा। इस अंतर को पाटने के लिए भारत सामान्य मगर प्रभावी पद्धतियां लागू कर सकता है। सिर्फ प्रोत्साहन से काम नहीं चलेगा।

सभी राज्यों को अपने अपने यहां चार्जिंग ढांचे को उन्नत बनाने से संबंधित स्पष्ट लक्ष्य बताने होंगे। यह पहली जरूरत है, जिससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का रुख तय होगा।

वैश्विक स्तर पर उभर रहे उदाहरण को अपनाते हुए भारत को सरकारी वाहनों के बेड़े के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का आदेश जारी करने पर विचार करना चाहिए और वाहन एग्रीगेटर बेड़े के कुछ प्रतिशत हिस्से का भी इलेक्ट्रिक होना अनिवार्य किया जाना चाहिए।”

इस अध्ययन में छह सुझाव दिए गए हैं जिनसे भारत वर्ष 2020 तक के लिए निर्धारित अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की संभावनाओं को बेहतर बना सकता है। ये सुझाव विभिन्न राज्य नीतियों तथा संबंधित सरकारी विभागों के बीच समन्वित प्रयासों और राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति बेहतर संरेखण पर केंद्रित हैं।

ये सुझाव सरकारी वाहनों तथा एग्रीगेटर बेड़ों के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण, खास तौर पर कुछ चुनिंदा शहरों में सरकारी वाहनों तथा तिपहिया वाहनों के लिए अधिदेश जारी करने, ओईएम, बैटरी निर्माताओं तथा उपभोक्ताओं को वित्तीय समाधान पेश करने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने पर केंद्रित हैं। इन बातों को लागू करने से भारत अपने आईसीई वाहनों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तब्दील करने की बेहतर स्थिति में पहुंच जाएगा।

देश में छोटे वाहनों जैसे 2 व्हीलर, 3 व्हीलर, इकॉनमी 4 व्हीलर और छोटे माल वाहनों की बड़ी संख्या को देखते हुए भारत के पास छोटे वाहनों के विद्युतीकरण में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने का मौका है।

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