बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 5 फ़रवरी के दिन पड़ रहा है। इस दिन से ऋतुराज बसंत की शुरुआत हो जाती है। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 5 फ़रवरी के दिन पड़ रहा है। इस दिन से ऋतुराज बसंत की शुरुआत हो जाती है। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था।

पौराणिक महत्व
ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है।

शुभ मुहूर्त
इस दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए 5 घंटे 16 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन सुबह 07 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक मां सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा।

पूजा विधि
आज के दिन सुबह उठकर शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। एक चौकी पर अग्र भाग में गणेश जी और पीछे वसंत स्थापित करें। नए धान्य से जौ, गेहूं आदि की बाली की पुंज को भरे कलश में डंठल सहित रख कर, अबीर और पीले फूलों से वसंत बनाएं। जल से भरे हुए तांबे के पात्र में रखे दूर्वा से घर या मंदिर में चारों तरफ़ जल छिड़कें और यह मंत्र पढ़ें-

प्रकर्तत्याः वसंतोज्ज्वलभूषणा नृत्यमाना शुभा देवी समस्ताभरणैर्युता, वीणा वादनशीला च यदकर्पूरचार्चिता।
प्रणे देवीसरस्वती वाजोभिर्वजिनीवती श्रीनामणित्रयवतु।

पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठकर मां को पीले पुष्पों की माला पहनाकर पूजन करें।

इस दिन गणेश जी, सूर्य देव, भगवान विष्णु, रति-कामदेव और भगवान शिव की पूजा का विधान भी है।

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का महत्व है। हिंदू परंपरा के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को, बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का सृजन किया था। यही वजह है कि इस दिन सभी सनातन अनुयायी, मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से शुभ फल तो मिलते ही हैं, साथ ही उस व्यक्ति को मां सरस्वती की असीम कृपा भी प्राप्त होती है।

बसंत पंचमी को लेकर एक और भी पौराणिक मान्यता सुनने को मिलता है, जिसके अनुसार इस दिन यदि कोई भी व्यक्ति सच्चे दिल से धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु की पूजा करता है, तो उसे हर प्रकार की आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल जाता है। हालांकि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की यह पूजा भी मुख्य रूप से, पंचोपचार एवं षोडशोपचार विधि से ही होनी अनिवार्य होती है।Related tags :#Basantpanchmi2022 #Basantpanchmi

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