भगवान शिव और शिवलिंग से जुड़े कई अनोखे रहस्य

अमावरी भी भगवान शंकर की एक बहन थीं। जिसे माता पार्वती के आग्रह पर स्वयं महादेव ने अपनी माया से बनाया था। भगवान शिव और माता पार्वती का एक ही पुत्र था, जिसका नाम कार्तिकेय था। भगवान गणेश को माता पार्वती ने अपने उबटन (शरीर पर लगाया जाने वाला लेप) से बनाया था।

भोले बाबा ने तांडव करके सनकादि के लिए 14 बार डमरू बजाया था, जिससे महेश्वर सूत्र अर्थात संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ।

केतकी का फूल कभी भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है। क्योंकि वह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बन चुका था।

शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते हैं, लेकिन इसके लिए भी विशेष सावधानी बरतनी होती है। बिना जल के बेलपत्र नहीं चढ़ाया जा सकता। भगवान शंकर और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है। क्योंकि शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था। बता दें कि शंख किशंखचूड़ की हड्डियों से बनाया गया था।

भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम वासुकी है। वह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर इसे गले लगाने का वरदान दिया। चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान प्राप्त है।

नंदी, जो भगवान शंकर के वाहन हैं और उनके सभी शिव-गणों में सबसे ऊपर हैं। वह वास्तव में वरदान स्वरूप शिलाद ऋषि का पुत्र था। जो बाद में कठोर तपस्या के कारण नंदी बने।

भगवान शिव के सिर से गंगा क्यों बहती है? जब देवी गंगा को पृथ्वी पर उतारने का विचार आया तो एक समस्या उत्पन्न हुई कि उनकी गति के कारण प्रचंड विनाश होगा। तब भगवान शंकर को राजी किया कि पहले गंगा को अपने बालों में बांधें, फिर अलग-अलग दिशाओं से धीरे-धीरे धरती पर उतारें।

हलाहल विष का सेवन करने के कारण भगवान शंकर का शरीर नीला पड़ गया था। दरअसल, समुद्र मंथन के दौरान 14 चीजें निकली थीं। 13 चीजों को दैत्यों और देवताओं ने आधा-आधा बांट लिया, लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नहीं हुआ! * यह विष बहुत ही घातक था ! इसकी एक बूंद भी धरती पर भारी तबाही मचा सकती है। तब भगवान शिव ने इस विष को पी लिया। इसलिए इनका नाम नीलकंठ पड़ा। भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है !

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