नोटबंदी पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जवाब

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला ‘एक परिवर्तनकारी आर्थिक नीति के तहत उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों की एक श्रृंखला’ था और यह निर्णय आरबीआई के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया था।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस बात की जानकारी दी कि साल 2016 में नोटबंदी (demonetisation) का फैसला क्यों लिया गया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2016 में की गई नोटबंदी बहुत सोच-विचार कर लिया गया फैसला था।

यह जाली नोट, आतंकवाद के वित्तपोषण, कालेधन और कर चोरी जैसी समस्याओं से निपटने की बड़ी रणनीति का हिस्सा था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर करने और नोटबंदी का यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक के साथ गहन विचार- विमर्श के बाद लिया गया था। इसके साथ-साथ नोटबंदी से पहले इसकी सारी तैयारियां कर ली गई थीं।

दरअसल, केंद्र सरकार ने नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दायर हलफनामे में यह बात कही है।

याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी करना जाली करेंसी, आतंक के फंडिंड, काले धन और टैक्स चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था। हालांकि यह केवल इतने तक सीमित नहीं था। नोटबंदी परिवर्तनकारी आर्थिक नीतिगत कदमों की श्रृंखला में यह अहम कदमों में से एक था।

बता दें कि इस मामले पर सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है। मामले की अगली सुनवाई अह 24 नवंबर को होगी। हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि नोटबंदी का निर्णय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की विशेष अनुशंसा पर लिया गया था।

RBI ने इसके क्रियान्वयन के लिए योजना के मसौदे का प्रस्ताव भी दिया था। गौरतलब हो कि पीठ ऐसी 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें केंद्र के 8 नवंबर, 2016 को लिए गए नोटबंदी के फैसले को चुनौती दी गई है।

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