वेदों और पुराणों में ब्रज के 84 कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है, ब्रजभूमि भगवान कृष्ण और उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है। इस परिक्रमा के बारे में वराह पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और ये सभी चातुर्मास के दौरान ब्रज में आकर निवास करते
देवो के देव महादेव (Mahadev) भगवान शिव और सती (Mata Parvati) का अद्भुत प्रेम शास्त्रों में वर्णित है। इसका प्रमाण है सती के यज्ञ कुण्ड में कूदकर आत्मदाह करना और सती के शव को उठाए क्रोधित शिव का तांडव करना। हालांकि यह भी शिव की लीला थी क्योंकि इस बहाने शिव 51 शक्ति पीठों की
शनिवार यानी न्याय के देवता शनिदेव (Shanidev) का दिन है। शास्त्रों में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। नाराज होने से राजा को रंक बना देते हैं तो खुश होने पर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करना आसान नहीं हैं। लेकिन सच्ची निष्ठा और पवित्र ह्रदय से किए गए काम
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, जिससे हर तरह की बाधा और विघ्न दूर हो जाते हैं। वे भक्तों के कष्ट, दरिद्रता और रोगों को दूर करते हैं। यह तो सभी जानते हैं कि गणेश जी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र
अरण्य वन का उल्लेख द्वापर युग के महाभारत काल में मिलता है, जहां पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य रहते थे। यहां एक शिवलिंग की स्थापना गुरु द्रोणाचार्य ने की थी। यहीं पर द्रोणाचार्य अपने अमर पुत्र अश्वत्थामा के गुप्त हथियारों का ज्ञान देते थे। यह स्थान उत्तर प्रदेश के कानपुर, बांका छतरपुर, शिवराजपुर के
भगवान के हरिहर स्वरूप का क्या है रहस्य? क्या है भगवान के ‘हरिहर अवतार’ का प्रसंग? शैव और वैष्णवों में आपसी मतभेद मिटाने के लिए भगवान शिव और विष्णु ने किस तरह लीला कर संसार को संदेश दिया कि परमात्मा एक ही है, चाहे किसी भी मार्ग से उसकी उपासना की जाए। वेदों में कहा
नाग पंचमी का पर्व सावन के महीने में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर के साथ नाग देवता की पूजा करने का विधान है। सावन के महीने में नाग पंचमी पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर के साथ नाग देवता की पूजा
हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है, सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विवाहित महिलाएं आज (31 जुलाई) हरियाली तीज मनाएंगी। यह दिन देवी पार्वती के दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है क्योंकि
ज्योतिष और हिंदू धर्म में सूर्य की अराधना का विशेष महत्व है। सूर्यदेव (Suryadev) एक ऐसे देवता हैं जो नियमित रूप से भक्तों को दर्शन देते हैं। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए किसी बड़े अनुष्ठान या खास पूजा की जरूरत नहीं पड़ती। सूर्य देव को सिर्फ एक लोटा जल और उनके मंत्रों के
गरुड़ पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के कुल खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है। पंचक (Panchaka) पांच प्रकार के होते हैं: रोग पंचक, राज पंचक, अग्नि पंचक, मृत्यु पंचक और चोर पंचक। गरुड़ पुराण