सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस के MBA स्टूडेंट शिवम दत्त की संदिग्ध हार्ट अटैक से मौत
एक माँ ने 2 दिसंबर, 2025 को अपने इकलौते बेटे शिवम को खो दिया। शिवम दत्त एक होनहार युवा थे जो पुणे के सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस (SIIB) से MBA कर रहे थे। उस मनहूस दिन, वह स्पोर्ट्स वीक के दौरान कैंपस में अपने दोस्तों के साथ फुटबॉल खेल रहे थे, तभी अचानक गिर पड़े, जिसका कारण उनके परिवार को अभी भी पता नहीं है।
लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी की हद
उनके दोस्तों ने इंस्टीट्यूट को उनकी हालत के बारे में बताया और तुरंत मेडिकल मदद मांगी। हालांकि, इंस्टीट्यूट के डॉक्टर शिवम की हालत की गंभीरता को समझ नहीं पाए। उन्होंने न तो सही इलाज किया और न ही एम्बुलेंस का इंतजाम किया। उन्होंने बस शिवम का ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट चेक किया और चले गए।
घटना की रिपोर्ट्स और परिवार के दावों से इंस्टीट्यूट की संभावित लापरवाही का पता चलता है, खासकर कैंपस में एम्बुलेंस और पर्याप्त तुरंत मेडिकल मदद की कमी, जिससे उन्हें अस्पताल ले जाने में देरी हुई।
दोस्तों की बार-बार कोशिशों और रिक्वेस्ट के बावजूद, इंस्टीट्यूट एम्बुलेंस का इंतजाम नहीं कर पाया। कोई और ऑप्शन न होने पर, शिवम के दोस्तों को उन्हें ऑटो-रिक्शा से अस्पताल ले जाना पड़ा। हालांकि, वहाँ पहुँचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके दोस्तों ने बताया कि अस्पताल जाते समय शिवम की साँसें चल रही थीं। अगर उन्हें अस्पताल पहुँचाने में बेवजह देरी नहीं होती तो उन्हें बचाया जा सकता था। यह सब इंस्टीट्यूट के शिवम के प्रति लापरवाह रवैये के कारण हुआ। इस मामले में इंस्टीट्यूट अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।
सिम्बायोसिस ने एम्बुलेंस नहीं दी। उन्हें ऑटो-रिक्शा से अस्पताल ले जाया गया। यह लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी का साफ मामला है। अगर समय पर मेडिकल मदद मिल जाती, तो वह बच जाते।
शिवम के परिवार की ओर से, हम अधिकारियों से विनम्र निवेदन करते हैं कि इस दिल दहला देने वाली घटना की निष्पक्ष जाँच करें और सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में किसी और माँ को इस तरह से अपना बेटा न खोना पड़े।



