जानिए नौ रंगों में समाए नौ रूप, 9 दिनों तक होगी माता की पूजा होती है नवरात्री में
मां दुर्गा के कई नाम और कई स्वरूप हैं। भक्त उनके हर रूप की पूजा बड़ी आस्था और श्रद्धा से करता है। नवरात्रि नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें अर्थात हर रात माता के अलग रूप को पूजने की रात मानी गई है। साधना में लीन रहने वाले साधक शक्ति की देवी को कई विधाओं में पूजते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया शास्त्रों में नौ के आंकड़े को पूर्णांक व शुभ माना जाता है, इसलिए पूजा विधि में नौ ग्रहों की स्थापना होती है। रंग भी नौ हैं जिन्हें नवरंग कहा जाता है। श्रीराम ने शबरी को नवधा (नौ प्रकार) भक्ति का ज्ञान दिया था। नौ रसों का भी जीवन में बड़ा महत्व है। यहां हम माता के नौ रूपों को नौ रंगों में प्रस्तुत कर रहे हैं।
नवरात्रि में ऐसे करें धन की देवी को प्रसन्न, बरसेगी कृपा
देवी शैलपुत्री: गुलाबी रंग की साड़ी पहने
शक्ति की देवी का सर्वप्रथम रूप शैलपुत्री है। ये देवी बैल पर सवार हैं और हल्की गुलाबी रंग की साड़ी पहने दर्शायी गई हैं। गुलाबी रंग मन को प्रफुल्लित करने वाला माना गया है। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं।
ब्रह्मचारिणी: वस्त्रों का रंग श्वेत
मां दुर्गा की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी के रूप में हैं। उनके वस्त्रों का रंग श्वेत (सफेद) है। वे एक हाथ में माला और दूसरे में कमंडल लिए हैं। श्वेत रंग को दर्शाने वाली देवी सौम्य, शांति और मंद मुस्कान का प्रतीक हैं।
चंद्रघंट : शरीर का रंग सोने के समान
शक्ति की देवी मां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। ये देवी लाल रक्त के समान रंग वाली साड़ी पहने दर्शायी गई हैं। उनका यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं।
कुष्मांडा: कमल पुष्प के रंग वाले परिधान
चौथे रूप में मां कमल पुष्प के रंग वाले परिधानों में नजर आती हैं। इनकी आभा सूर्य की तरह दैदीप्यमान है। इनके तेज से दसों दिशाएं जगमगाती हैं। जब सृष्टि नहीं थी, तब इन्होंने अपने इशित्व से ब्रह्मांड की रचना की। यही सृष्टि आदि स्वरूपा शक्ति हैं। इनका निवास सूर्यलोक में है।
स्कंद माता: रंग अग्नि के समान प्रज्जवलित
मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंद माता के नाम से भी जाना जाता है। इनका वर्ण शुभ्र है। ये मातारानी कमल के आसन पर विराजित हैं। पुराणों में इन्हें शक्तिधर कहकर पुकारा गया है। इनका रंग अग्नि के समान प्रज्जवलित जान पड़ता है।
कात्यायनी: हल्के भगवा रंग के परिधानों में शोभित
देवी के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। ये हल्के भगवा रंग के परिधानों में शोभित होती हैं। कत नाम के ऋषि थे उनके पुत्र महर्षि कात्य हुए। इन्हीं के गौत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए। इन्होंने भगवती की उपासना वर्षों तक की थी, इनकी इच्छा थी कि भगवती इनके घर पुत्री के रूप में जन्म ले। महर्षि कात्यायन ने इनकी पूजा की थीए इसलिए कात्यायनी नाम पड़ा।
कालरात्रि: शरीर काले रंग का
माता का सातवां स्वरूप कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। इन देवी का शरीर काले रंग का है। बाल बिखरे, तीन नेत्र हैं, जो ब्रह्मांड की तरह गोल हैं। चमकीली किरणें ज्वाला बनकर निकलती हैं। वाहन गदर्भ है। अभय मुद्राएं रूप भयंकर है।
महागौरी: शरीर गौरे रंग का
देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी है। इनका शरीर गौरे रंग का है। श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। शंख, चंद्र, कुंद के पुष्प से इनकी उपमा की गई है। वाहन वृषभ है। पार्वती के रूप में शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। तपस्या से शरीर काला पड़ा था। बाद में गंगाजल से स्नान बाद पुन: कांति माना हो गया।
सिद्धि दात्री: लाल रंग के परिधानों में सजी हुई
देवी का नौवां स्वरूप सिद्धि दात्री है। लाल रंग के परिधानों में माता सजी हुई नजर आती हैं। मान्यतानुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लहिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व, वाशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। ब्रह्मवर्त पुराण में कृष्ण जन्म के समय यह संख्या 18 बताई गई थी, किंतु नवरात्रि में नवीं शक्ति के रूप में सिद्धि दात्री की उपासना फलदायी है।