देश का एकमात्र शनि मंदिर जहां शनि देवजी अपनी पत्नी स्वामीनी के साथ हैं
अनमोल कुमार शनिदेव (Shanidev) के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर देश के अलग अलग हिस्से में मौजूद है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक ऐसा शनि मंदिर (Shani Mandir) हैं जहां शनि देव अपनी पत्नी के साथ विराजित है। एक तरफ जहां शनि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है वहीं यह एक अनोखा मंदिर है।
शनिदेव (Shanidev) के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर देश के अलग अलग हिस्से में मौजूद है। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक ऐसा शनि मंदिर (Shani Mandir) हैं जहां शनि देव अपनी पत्नी के साथ विराजित है। एक तरफ जहां शनि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है वहीं यह एक अनोखा मंदिर है।
महाभारत कालीन मंदिर
शनिदेव (Shanidev) का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के एक जिले कवर्धा (Kawardha) में स्थित है। जहां भोरमदेव मार्ग से 15 किलोमीटर दूर एक गांव छपरी स्थित है। जहां से 500 किलोमीटर दूर मड़वा महल है। जहां से टेढ़े-मेढ़े पथरीले रास्तों को पार करते हुए गावं करियाआमा आता है, जहां ये मंदिर स्थित है। इस मंदिर में शनि देव (Shanidev) अपनी पत्नी स्वामिनी के साथ पूजे जाते है। मिली जानकारी के अनुसार यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां शनि देव और उनकी पत्नी की प्रतिमाएं एक साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि यह महाभारत (Mahabharat) कालीन है, जिसे पांडवों (Pandav) ने बनवाया था।
धूल हटने पर दिखी अनूठी प्रतिमा
यहां के पुरोहित के मुताबिक वे काफी लंबे समय से भगवान शनिदेव की पूजा करने के लिए करियाआमा जाते रहे हैं। लगातार तेल डालने की वजह से प्रतिमा पर धूल-मिट्टी की काफी मोटी परत जम चुकी थी। एक दिन इस प्रतिमा को साफ किया गया तो वहीं शनिदेव (Shanidev) के साथ उनकी पत्नी देवी स्वामिनी की भी प्रतिमा मिली। यह प्रतिमा पान्डव कालीन बताई जाती है
सपत्नीक शनिदेवालय
इस मंदिर को देश का एकमात्र सपत्नीक शनिदेवालय का दर्जा मिला है, बाकी स्थानों पर शनिदेव (Shanidev) की अकेली प्रतिमा ही स्थापित हैं। यह शनि मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पति-पत्नी दोनों एक साथ शनिदेव की पूजा अर्चना कर सकते हैं।