My voice

श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान शिव के जन्म की कथा

Published by
Neelkikalam

भगवान शिव (Lord Shiva) के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना जाता है। शिव के जन्म की कहानी हर कोई जानना चाहता है।

श्रीमद्भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु (भगवान विष्णु) और ब्रह्मा (भगवान ब्रह्मा) अहंकार से उत्साहित हो स्वयं को श्रेष्ठ कथन हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से जिसका कोई भी ओर-छोर ब्रह्मा या विष्णु नहीं समझ पाए और भगवान प्रकट हुए शिव।

विष्णु पुराण में वर्णित शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव के एकमात्र बाल रूप में वर्णित है। यह कहानी बेहद मनभावन है। जिसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने इसके लिए तपस्या की। तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उन्होंने बड़े दृष्टांत से जवाब दिया कि उनका नाम ‘ब्रह्मा’ नहीं है इसलिए वह रो रहे हैं, तब ब्रह्मा ने शिव का नाम ‘रूद्र’ रखा जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’। शिव तब भी चुप नहीं हुए। इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए। इस तरह शिव को चर्चा के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए और शिव के 8 नाम (रूद्र, शिव, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए। शिव पुराण के अनुसार ये नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे।

शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार जब पृथ्वी, आकाश, पाताल सहित पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नालों पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए। ब्रह्मा ने उन्हें अपरिचित से मना कर दिया। तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दी।

ब्रह्मा को अपना गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए वे उनसे अपने पुत्र के रूप में जन्म होने का आशीर्वाद मांगा। शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। कालांतर में विष्णु के कान के मैल से पैदा हुए मधु-बिल्ली के राक्षसों के वध के बाद जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की आवश्यकता थी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। अत: ब्रह्मा ने तपस्या की और बालक शिव के बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए।

Neelkikalam

Recent Posts

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि ने सार्वजनिक माफी मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु और उद्यमी रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक…

18 hours ago

यूपीएससी 2023 परिणाम: यहां सिविल सेवा परीक्षा के शीर्ष 20 रैंक धारक हैं

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने आज सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2023 के परिणामों की…

2 days ago

मेरे सांसद ने रवांडा विधेयक की सुरक्षा पर कैसे मतदान किया? ऋषि सुनक ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स के संशोधनों को हराया

ऋषि सुनक को अपने प्रमुख रवांडा सुरक्षा विधेयक को पारित करने के प्रयास में संसदीय…

3 days ago

कोई अंतरिम राहत नहीं; अरविंद केजरीवाल सिर्फ दो तरह के कागजों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं

नई दिल्ली: जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति…

3 days ago

एबीपी न्यूज-सीवोटर ओपिनियन पोल: नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी, जानें किसे माना जाता है पीएम बनने के लिए सबसे उपयुक्त

एबीपी न्यूज-सीवोटर ओपिनियन पोल: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश का मूड जानने के लिए…

4 days ago

चीन और ईरान से हजारों ड्रोन यूक्रेन में घुस आए

द वॉल स्ट्रीट जर्नल और द वाशिंगटन पोस्ट की हालिया रिपोर्टों से सैन्य प्रौद्योगिकी के…

5 days ago