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हम लड़ाई के लिए लाठी चलाना नहीं सिखाते: मोहन भागवत

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Devendra Singh Rawat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत शुक्रवार को इंदौर पहुंचे। यहां उन्होंने मालवा प्रांत के स्वर शतकम कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि संघ कोई भी काम दिखावे के लिए नहीं करता। संघ काम करता है, इसलिए उसका दिखावा होता है।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ के कार्यक्रम मनुष्य के सद्गुणों को बढ़ाते हैं। हम संघ में डंडा और लाठी चलाना सिखाते हैं। हम इसे दिखावे या लड़ाई के लिए नहीं सिखाते, बल्कि जब कोई परिस्थिति आती है तो यह काम आती है। लाठी चलाना सीखने से मनुष्य में वीरता आती है। वह डरता नहीं है।

संघ से जुड़ने का आह्वान

डॉ. भागवत ने करीब 28 मिनट तक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने आनंद मठ उपन्यास का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें लिखा है- हे लाठी तेरे दिन पूरे हो गए, लेकिन शिक्षित हाथ मिलने के बाद ऐसा कोई काम नहीं है, जो तू न कर सके।

संघ से जुड़ने का आह्वान करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि लोग संघ से इसलिए नहीं जुड़ते कि उन्हें कुछ करना है, बल्कि इसलिए जुड़ते हैं कि उन्हें राष्ट्र के लिए कुछ करना है। यदि सभी में राष्ट्र निर्माण की भावना जागृत हो जाए, तो एक दिन पूरा विश्व सुख और शांति का युग देखेगा। स्वयंसेवकों ने सामूहिक प्रस्तुति दी। इंदौर के दशहरा मैदान में स्वर शतकम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मालवा प्रांत के 28 जिलों से आए स्वयंसेवकों ने सामूहिक प्रस्तुति भी दी। उन्होंने 45 मिनट तक बिना रुके प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में स्वयंसेवकों के साथ बड़ी संख्या में आम लोग भी मौजूद थे। संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने यहां एक साथ संगीत की प्रस्तुति दी है। संगीत हमें आपसी समन्वय के साथ मिलकर चलना सिखाता है। इतने स्वयंसेवकों द्वारा एक साथ संगीत की प्रस्तुति अद्भुत घटना है। हमारी रण संगीत की परंपरा, जो विलुप्त हो गई थी, अब फिर से लौट आई है।

Devendra Singh Rawat

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